I.A.S. Anthem
आओ मिल कर इल्म के सूरज हर घर में चमकायें हम,
चारों जानिब इल्म और फ़न की ख़ुशबू इक फैलायें हम।
1.शहर हमारे गांव हमारे तालीमी गहवारे हों,
हर सूबे में हर बस्ती में रौशन चांद सितारे हों,
दूर अंधेरे सब हो जायें ऐसी ज्योत जलायें हम।।
चारों जानिब इल्म और फ़न की ख़ुशबू एक फैलायें हम....!!
2.अहद करें कि नस्लों नस्लों पढ़ना और पढ़ाना है,
जो भी सीख रहें हैं आज औरों को सिखलाना है,
सदभाव, मुहब्बत और प्यार के नग़मों को दोहरायें हम।
चारों जानिब इल्म और फ़न की ख़ुशबू एक फैलायें हम....!!
3.पढ़ लिख कर ही हर्फ़ सुनहरी एक इबारत लिक्खेंगे,
थामे हाथ में हाथ सभी के मंज़िल पे हम पहुंचेंगे,
गंगा जमुनी संस्कृति का परचम इक फहरायें हम !!
चारों जानिब इल्म और फ़न की ख़ुशबू एक फैलायें हम!
4.गांव शहर में आई.ए.एस. की गूंज सुनाई देती है,
रंग बिरंगी इंद्रधनुष सी छब दिखलाई देती है,
दुनिया में अदबी अख़लाकी गहवारा कहलायें हम!
आओ मिल कर इल्म के सूरज हर घर में चमकायें हम,
चारों जानिब इल्म और फ़न की ख़ुशबू इक फैलायें हम!
(Poet: Johny foster, AMU Aligarh)
Composed by : Shakeel Ahmed
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